इंडियन टेलीकॉम कंपनियां यूजर्स को एक बार फिर से झटका दे सकती है। टेलीकॉम कंपनियों ने पिछले साल दिसंबर 2019 में अपने-अपने मोबाइल टैरिफ में 30 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी की थी। टैरिफ में बढ़ोत्तरी के बाद भी टेलीकॉम कंपनियों के औसत रेवेन्यू में ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
इंडियन टेलीकॉम कंपनियां यूजर्स को एक बार फिर से झटका दे सकती है। टेलीकॉम कंपनियों ने पिछले साल दिसंबर 2019 में अपने-अपने मोबाइल टैरिफ में 30 से 40 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी की थी। टैरिफ में बढ़ोत्तरी के बाद भी टेलीकॉम कंपनियों के औसत रेवेन्यू में ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। वहीं एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को AGR के बकाया के रूप में बड़ी राशि का भुगतान करना है। इकोनॉमिक्स टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियां एक बार फिर से मोबाइल टैरिफ में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टेलीकॉम कंपनियों को अपनी बैलेंस सीट में सुधार करने के लिए एक बार फिर से अपने टैरिफ में बढ़ोत्तरी करनी पढ़ सकती है। इसके साथ ही रिपोर्ट में इस बात के भी संकेत दिए हैं कि वोडाफोन-आइडिया भारत से टेलीकॉम मार्केट से हाथ खींच सकते हैं। अगर इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट में कही यह बात सच साबित हुई तो भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो, एयरटेल और बीएसएनएल ही शेष रह जाएंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों के टैरिफ में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है।
बता दें कि AGR के भुगतान में राहत को लेकर वोडाफोन-आइडिया की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। अब वोडाफोन-आइडिया को सरकार की ओर से भी राहत नहीं मिली तो उसे जल्द भुगतान के लिए अपने मोबाइल टैरिफ में बढ़ोत्तरी करनी पढ़ सकती है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मोबाइल खर्च अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, ऑस्ट्रेलिया और जापान से बहुत कम है। रिपोर्ट में आगे कहा है कि भारतीय यूजर्स अपनी इनकम का मात्र 0.86 प्रतिशत ही मोबाइल टेरिफ के लिए करते हैं। टेलीकॉम कंपनियों में पिछले साल दिसंबर तीन साल बाद टैरिफ बढ़ाये थे।